एक अच्छे शिक्षक के लिए Netflix, Amazon Prime, YouTube आदि देखना, और साहित्य पढ़ना भी काम का अभिन्न हिस्सा है।
अच्छे शिक्षक को लेक्चर के दौरान चलचित्र, वृतचित्र, और क्लासिकल साहित्य का भी समुचित उदाहरण देना चाहिए। इससे लेक्चर में सौम्यता के साथ तारतम्यता बनी रहती है। इससे लेक्चर दृष्टियानुभाष के कारण ज्यादा व्यावहारिक हो जाता है।
भारत और दुनियां (मतलब ब्रिटेन और अमेरिका) के बेहतरीन विश्वविद्यालय जहां कानून की पढ़ाई होती हैं वहां लेक्चर के दौरान ऐसे उदाहरण दिए जाते हैं। वहां कानून पढ़ने वाले बच्चो से कानून से संबंधित चलचित्र, वृतचित्र, और साहित्य का विश्लेषण भी करवाया जाता है। यह पाठ्यक्रम का ही एक हिस्सा है।
भारत, ब्रिटेन, और अमेरिका आदि के उच्चतम न्यायालयों में भी कई बार बहस के दौरान मैटर को समझने और समझने के लिए भी चलचित्र, वृतचित्र, और क्लासिकल साहित्यों का उदाहरण दिए जाते हैं। इन सब की गहराई और महत्व कोई तभी समझ सकता है जब उसे मूल जजमेंट पढ़ने की आदत हो।
इस पोस्ट पर आप सबकी प्रतिक्रिया आमंत्रित है।
अच्छे शिक्षक को लेक्चर के दौरान चलचित्र, वृतचित्र, और क्लासिकल साहित्य का भी समुचित उदाहरण देना चाहिए। इससे लेक्चर में सौम्यता के साथ तारतम्यता बनी रहती है। इससे लेक्चर दृष्टियानुभाष के कारण ज्यादा व्यावहारिक हो जाता है।
भारत और दुनियां (मतलब ब्रिटेन और अमेरिका) के बेहतरीन विश्वविद्यालय जहां कानून की पढ़ाई होती हैं वहां लेक्चर के दौरान ऐसे उदाहरण दिए जाते हैं। वहां कानून पढ़ने वाले बच्चो से कानून से संबंधित चलचित्र, वृतचित्र, और साहित्य का विश्लेषण भी करवाया जाता है। यह पाठ्यक्रम का ही एक हिस्सा है।
भारत, ब्रिटेन, और अमेरिका आदि के उच्चतम न्यायालयों में भी कई बार बहस के दौरान मैटर को समझने और समझने के लिए भी चलचित्र, वृतचित्र, और क्लासिकल साहित्यों का उदाहरण दिए जाते हैं। इन सब की गहराई और महत्व कोई तभी समझ सकता है जब उसे मूल जजमेंट पढ़ने की आदत हो।
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