Lecture and Explanation of Reading to be covered:
Asch, Timothy and Patsy Asch, 1995. ‘Film in Ethnographic Research’ in Principles of Visual Anthropology (ed) Paul Hockings, Second Edition, Mouton de Gruyter, pp. 335-362
Keywords: Film as Research Tool, Ethnographic Film, Data Analysis, Armature Footage, Fictional Film, Documentary Film, Research Film,
Paper: Society Through the Visuals Skill Enhancement Course 03
University of Delhi
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हिंदी में नोट्स (प्रमुख बिंदु)
Unit 3, Video and Film in Sociology
Sub-unit/ Article 3.1
Course Structure
#1 Important Points to be kept in Mind While Studying the Content
#2 Expected Outcome and Understanding of the Content
#3 General Introduction
#4 Lecture in Detail with Comment, Clarification, and Explanation
इस लेक्चर के बाद आप विभिन प्रकार के documentary फिल्म को बनाने के उद्देश्य, बनाने के तरीके, और उसके उपयोग और महत्व को समझ पाएंगें.
< Lecture and Explanation>
शब्दार्थ
* Ethnographic = adjective: ethnographical. (1) relating to the scientific description of peoples and cultures with their customs, habits, and mutual differences. (2) नृवंशविज्ञान या मानव जाति विज्ञान संबंधी. (3) नृवंश-संबंधी
* Subjective = (1) based on or influenced by personal feelings, tastes, or opinions. (2) व्यक्तिपरक, व्यक्ति-निष्ठ
* Objective = (1) (of a person or their judgement) not influenced by personal feelings or opinions in considering and representing facts. (2) वस्तुनिष्ठ. (3) निष्पक्ष. (4) वस्तुगत
* anecdotal = (of an account) not necessarily true or reliable, because based on personal accounts rather than facts or research.
फिल्म एक रिसर्च टूल के रूप में
जब हम एथनोग्राफिक फिल्म की बात करते हैं तो हम संग्रह या व्यावसायिक-फिल्म उद्देश्य से फिल्म बनाने की बात करते हैं.
अन्थ्रोपोलोजीस्ट रोज मर्रे की जिंदगी, भाषा-संस्कृति, खान-पान, रहन-सहन, आदि सम्बन्धी जानकारी अवलोकन (observation), सहभागी-अवलोकन (participatory observation) सुनकर, बातचीत करके, साक्षात्कार आदि के द्वारा इकठ्ठा करतें हैं.
बिना एडिट किए हुए या बिना इस्तेमाल किये हुए इनफार्मेशन या रिकॉर्ड भी उपयोगी होता है. इसका उपयोग तब होता है जब कभी इस पर विवाद हो कि सूचना कहाँ से और कैसे इकट्ठा किया गया था. इसका उपयोग बाद कि पीढ़ी भी बाद में कर सकती है.
यहाँ एक सवाल उठता है कि फिल्म किससे सम्बंधित है? उसने जिसका फिल्मांकन हुआ है या फिर उसका जिसने फिल्मांकन किया है? सभी एथनोग्राफिक फिल्म सब्जेक्टिव अर्थात व्यक्तिपरक, व्यक्ति-निष्ठ होता है क्योकि रिकॉर्ड करने के लिए बहुत कुछ होता है, लेकिन यह एथ्नोग्रफेर पर निर्भर करता है कि वह क्या रिकॉर्ड करे? यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि कि हर व्यक्ति का समाज को देखने का एक नजरिया होता है. यह भी संभव है कि उसके मन में किसी समाज के प्रति को आग्रह या दुराग्रह हो. इसका असर रिसर्च पर भी पड़ता है.
एथनोग्राफिक विश्लेषण डेटा पर आधारित होता है और यह डेटा एथ्नोग्राफी अर्थात शोध करने वाला कलेक्ट करता है. यह डेटा उसके द्वारा पूछे गए प्रश्नों पर निर्भर करता है. और वह कैसे प्रश्न पूछेगा वह निर्भर करता है रिसर्चर पर.
डेटा विश्लेषण इसके संबंधों को हाईलाइट करता है कि क्या अवलोकन किया गया और उसे कैसे प्रस्तुत किया गया. यह संभव है कि उसने जो देखा और जो प्रस्तुत किया उनमें अंतर हो. लेकिन वीडियो के कारण यह अंतर कम हो जाता है क्योकि उस विडियो को कोई भी देख सकता है. लेकिन यहाँ भी दुराग्रह या समाज को वास्तविकता से परे दिखाने की भावना होती है क्योकि कैमरा खुद ही फोटो नहीं लेता है. अर्थात जो शोधार्थी दिखाना चाहे वही दिखेगा. लेकिन फिर भी विडियो के कारण इसकी संभावना बहुत कम हो जाती है. कम से कम वह जो कह रहा है वह उसे विडियो के द्वारा साबित भी करना पड़ेगा.
एन्थ्रोपोलोगिस्ट सामान्यतः उस समाज से नहीं आतें हैं जिस समाज के बारे में वे अध्ययन करते हैं. ऐसी आशा की जाती है कि उनकी यह स्थिति उनके अध्ययन में ऑब्जेक्टिव लाती है. आजकल के एन्थ्रोपोलोजिस्ट विषय से कट कर अध्ययन कर रहें हैं. वे पहले की तरह सहभागी अध्ययन (participatory study) न करके बाहर से अवलोकन कर रहे हैं. सहभागी अध्यन में हम समज से जयादा करीबी से जुड़ते हैं और उसके संस्कृति, भाषा, रहन-सहन, व्यवहार, सपने, विश्वास, विचार, आदि बहुत करीब से बेहतर समझ के साथ हम जान पातें हैं. हम यह जान पाते हैं कि वे किन सामाजिक परिस्थितियों में रहते हैं.
जैसा कि डेविड मैकडॉगल (David MacDougall) ने कई फिल्मकार के बारे में ऑब्जरवेशन में नोटिस किया है कि उनके ड्रामा फिक्शन फिल्म डॉक्यूमेंट्री फिल्मों से काफी बढ़िया है, क्योकि इसमें हम (समाज को) डॉक्यूमेंट्री से ज्यादा ओब्सेर्वे कर सकते हैं. उनका कहना है कि “फिल्म के इमेज मुख्यतः फिक्सनल होतें हैं. लेकिन वे समाज के ही घटनाएं होतें हैं जहां से वह स्टोरी ली गई होती है.” उनका कहना है कि “ऑडियंस देखकर समझती है”. लेकिन साथ ही डेविड मैकडॉगल्ल का कहना है कि “कैमरा ओब्सेर्वे करता है लेकिन एक सहभागी के रूप में नहीं बल्कि एक अदृश्य उपस्थिति के रूप में”. अदृश्य उपस्थिति इसलिए कि शोधकर्ता की भी एक दृष्टिकोण होता है.
इसलिए हम कह सकते हैं कि कैमरा researcher के आँखों का एक्सटेंशन होता है.
किसी भी चीज का हम चाहें जितना भी अध्ययन, विश्लेषण और मूल्यांकन कर लें लेकिन उसमें कुछ-न-कुछ कमी रह ही जाती है. क्योंकि कोई एक व्यक्ति सभी बिंदुओं पर विचार नहीं कर सकता है. या उसे ही सभी विचार नहीं आ सकते हैं. इसलिए कुछ शोधकर्मी अपने शोध को अपने मित्रों और/या सहकर्मियों को दिखाते हैं ताकि वे उनकी सलाह ले सकें.
उपलब्ध फुटेज से रिसर्च फिल्म बनाना
Creation of Research FIlms From Existing Footage Page No. 350/ 57
सुरक्षित रखे गए Archival/ आर्काइव फिल्म फुटेज से रिसर्च फिल्म बनाने और भविष्य में शोध के तीन स्टेज/ स्टेज हैं.
(१) Preservation/ सुरक्षित रखना,
(२) रिसर्च फिल्म या टेक्स्ट बनाना,
(३) रिसर्च
(१) Preservation/ सुरक्षित रखना
जिन फिल्मों के बारे में लगता है कि इसे सुरक्षित रखा जाना चाहिए या जिसका उपयोग भविष्य में हो सकता है उसे सुरक्षित रखा जाना चाहिए. उसे कम तापमान और कम नमी वाले स्थान पर अच्छे से रखना चाहिए, ताकि वह ख़राब न हो. लेकिन हर बार ऐसा करना संभव नहीं हो पाता है. International Federation of Film Archives इसके लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करती है.
चार प्रकार के फिल्म हैं जिसमें एंथ्रोपोलॉजिस्ट ज्यादा रूचि लेतें हैं या हम कह सकते हैं कि इसका उपयोग एंथ्रोपोलॉजी में है. ये चार प्रकार हैं-
(a) फिक्शनल फिल्म/ Fictional Film - सभी फ़िल्में एन्थ्रोपोलोजी के लिए उपयोगी होतें हैं क्योकि उसमें संस्कृति दिखाई जाती है. लेकिन कुछ फ़िल्में इसमें बेहतर होतीं है. जैसे “नदिया के पार”, “पाथेर पांचाली”, “गाइड”, “मुग़ल-ऐ-आज़म”, “ब्लैक डायमंड”, आदि
(b) Amateur Footage (ऐमचुर / ऐमटर / ऐमचर = शौक़ीन अव्यवसायी) - इसके अंतर्गत इसाई मिशनरी, यात्री, सरकारी या ऑफिसियल लोगो के द्वारा लिए गए फुटेज आता है. इसके कुछ फुटेज शोध में उपयोगी हो सकते हैं.
(c) Documentary Film- इसके अंतर्गत एंथ्रोपोलॉजिकल फिल्म आते हैं जिसका उपयोग भविष्य के रिसर्च के लिए किया जा सकता है. जो भविष्य के पीढ़ी को पूर्व के समाज को समझने में सहायता कर सकें.
(d) Ethnographic Footage/ एथनोग्राफिक फुटेज- इसके अंतर्गत दोनों फुटेज आते हैं जो किसी एंथ्रोपोलॉजिस्ट ने अपने शोध या शिक्षण कार्य के लिए लिया और उसका उपयोग किया हो, साथ ही फुटेज भी उपयोगी हैं जिसका इस्तेमाल कमर्शियल फिल्म बनाने समय न किया गया हो. किसी भी कमर्शियल फिल्म शूट में कई घंटे की फिल्म फुटेज शूट होती है लेकिन अंतिम रूप से बहुत कम फुटेज का इस्तेमाल होता है. बाकि बचे फुटेज का इस्तेमाल कभी नहीं होता. लेकिन इनमें से कुछ फुटेज का इस्तेमाल भविष्य के रिसर्च में किया जा सकता है. पुराने ज़माने में फिल्म रील में शूट होती थी. और एक फिल्म शूट करने में ४०,००० से ६०,००० फूट लंबे रील का इस्तेमाल किया जाता है जबकि अंतिम रूप से सिर्फ २,००० फूट लंबे फिल्म का ही इस्तेमाल किया जाता है.
(२) रिसर्च फिल्म
आर्काइव के फिल्म और डॉक्यूमेंट का उपयोग करके हम रिसर्च की वैल्यू बढ़ा सकतें हैं. इसे और भी सार्थक और उपयोगी बना सकते हैं. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि हम फिल्म फुटेज के उपयोग करने से पहले हम फुटेज पर रिसर्च करें. इसमें हम प्रायः वैसे फिल्मों का उपयोग करते हैं जिसका कोई डॉक्यूमेंट्री वैल्यू हो. इसमें हम सभी फुटेज को न लेकर सिर्फ वैसे फुटेज को लेते हैं जिसका रिसर्च में महत्त्व हो. इसके लिए हमें फिल्मो पर रिसर्च करना पड़ता है. अमेरिका में इसके रखरखाव के लिए एक संस्था National Anthropological Film Centre (Human Studies Film Archive) है जिसका मुख्यालय वाशिंगटन में है. यहाँ महत्वपूर्ण फिल्मों को सुरक्षित रूप से संग्रह भी किया गया है.
फिल्मों को सुरक्षित रखना महत्वपूर्ण है लेकिन रिसर्च के लिए सिर्फ यही काफी नहीं है. व्यावहारिक रूप से यह बहुत मुश्किल और कई बार यह असंभव है कि सभी सम्बंधित विडियो फुटेज को देखा जाए. साथ ही इसे कंप्यूटर पर सर्च करना भी असंभव है. इसलिए यह जरूरी है कि आर्काइव में रखें फिल्म फुटेज के विवरण और संवाद को शब्दबद्ध भी किया जाए. इसे अंग्रेजी में transcribe कहते हैं. इससे रिसर्च के लिए उपयोगी सामग्री को खोजना आसान हो जाता है.
(३) रिसर्च
ऐसे रिसर्च को बढ़ावा देना जिसमें आर्काइवल फिल्म और डॉक्यूमेंट का उपयोग हो सके. साथ ही उपलब्ध फिल्मों का मूल्याङ्कन करना ताकि रिसर्च और भी बेहतर हो. इसमें हम आर्काइव फुटेज और संग्रह किए गए फुटेज दोनों का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आर्काइव में रिसर्च करने के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हो जिससे उचित स्थान और तकनीक दोनों शामिल है.
This lecture was delivered during the Odd Semester (July to November) 2019 to the students of the University of Delhi. Visit here for Syllabus and other lectures for BA Programme, Skill Enhancement Course 03, Society Through the Visuals.
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